वाराणसी- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सेवापुरी ब्लॉक में एक ऐसा गांव है जहां करीब 90 लोग शरीरिक रूप से विकलांग है। वाराणसी का पुरा गाँव अर्थ रेडिएशन का शिकार हो गया है। जिसके परिणामस्वरूप पूरे गाँव में विकलांगता ने पैर पसार लिया है। एनर्जी एंड रेडिऐशन रिसर्च फाउंडेशन ने दावा किया है कि, यहां अर्थ रेडिएशन और इलक्ट्रोमैग्नेटिव रेडिएशन दोनों ही हैं, जिसके कारण यहाँ नवजात शिशू भी विकलांगता के शिकार हो रहे हैं।
करीब दस हजार लोगों वाले इस गांव में हर एक मोड़ पर विकलांग बच्चे और युवक दिख ही जाएंगे। करीब चालीस साल से इस गांव में जो बच्चा पैदा होता है उनमें से अधिकतर बच्चे कुछ ही सालों में विकलांगता की चपेट में आ जाते हैं। शुरुआती दिनों में जब इस बावत रिसर्च किया गया तो सामने आया कि इस गांव में दूषित पानी के चलते विकलांगता हो रहा है। इसके बाद इस गांव मे जल निगम ने पेयजल के लिए टंकी का निर्माण करायाए लेकिन अब जब कुछ दिन पहले एक बच्चा विकलांग पैदा हुआ तो रेडिएशन रिसर्च की एक टीम ने गाव का सर्वे किया।
एनर्जी एंड रेडिएशन रिसर्च फाउंडेशन की ओर से शासन.प्रशासन को सौंपे जाने वाली रिपोर्ट तैयार करने का काम चल रहा है। फाउंडेशन के डायरेक्टर राजेश कुमार राय के मुताबिक पीएमओ को रिपोर्ट भेजने के पीछे मंशा यह है कि भारत सरकार के विशेषज्ञ मुकम्मल जांच कर रेडिएशन का प्रभाव रोकने या कम करने की दिशा में कदम उठाएंगे।
फाउंडेशन के डायरेक्टर की मानें तो अभी गांव के भूमिगत जल और मिट्टी की जांच होनी बाकी है। भूमिगत जल और मिट्टी में शटल लेबल;सूक्ष्म स्तरद्ध पर असर जानने के लिए अत्याधुनिक मशीनों की जरूरत होगीए जो केंद्रीय एजेंसियों के पास ही उपलब्ध हैं। जांच पूरी होने पर ही रेडिएशन रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं।
बनारस- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के एक शिक्षक को यौन उत्पीड़न के मामले में निलंबित कर दिया गया है। मामले में आरोपी शिक्षक के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करने के लिये कुलपति गिरीशचंद्र त्रिपाठी ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी, इसके बाद आरोपी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
आपको बता दें कि 30 जनवरी को छात्रा ने लंका पुलिस थाने में प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर एस. के. सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।
पुलिस ने भी छात्रा की शिकायत पर आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। इधर विश्वविद्यालय के कुलपति ने महिला शिकायत प्रकोष्ठ से कहा है कि वह मामले की जांच कर जल्द रिपोर्ट सौंपे, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। मामले में आरोपी प्रोफेसर ने स्वयं को निर्दोष बताया है। उसका कहना था कि वह दिल का मरीज है और दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती होकर अपना इलाज करा रहा है।
वाराणसी- वाराणसी में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर गुरूवार को एक महिला सर्जन ने महज चार घंटे में 73 नसबंदी के आॅपरेशन किए। स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध सभी चार बेड फुल होने के बाद ठंड के मौसम में बाकि महिलाओं को जमीन पर लिटा दिया गया। वह भी खुले आसमान के नीचे, बरसात के कारण नम और सीलन भरी जमीन पर वो भी बिना किसी दरी-चादर के।
दरअसल, वाराणसी के चिरईगांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अलग-अलग गांवों से आशा कार्यकर्ता महिलाओं को लेकर आईं। जिनमें कुल 76 पंजीकरण कराए गए थे।
आपको बता दें कि, इससे पहले छत्तीसगढ़ में नसबंदी के आपरेशन में लापरवाही के कारण दर्जनों महिलाओं को मौत के मुंह में जाना पड़ाए लेकिन डॉक्टर किसी की जान से खेलने से संकोच नहीं कर रहे हैं।
वैसे इस तरह के कैंप डाॅक्टरों के लिए कोई नई बात नहीं है। चंद पैसों की खातिर डाॅक्टर अपने काम को भूल कर आमनवीय काम कर जाते हैं, और इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है।
वाराणसी- प्रदेश के मंत्री शिवपाल यादव दो दिन के दौरे पर गुरुवार को वाराणसी पहुंचे हैे। इस दौरान शिवपाल ने संस्कृति संकुल में समाजवादी पेंशन योजना का शुभारंभ किया। 500 महिलओं को पेंशन, 500 मजदूरों को साइकल और 300 युवक-युवतियों को टूल-किट प्रदान किया। इस मौके पर शिवपाल ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि, मोदी बोलते ज्यादा हैं पर उनका कोई काम दिखाई नहीं पड़ता।
समारोह में उन्होंने कहा कि, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोलते कम और काम ज्यादा करते रहे पर वर्तमान पीएम ठीक उल्टे हैं। काम की जगह उनकी बातें ही जनता सुन रही है।
शिवाल यादव के बोल यहीं नहीं थमे, और उन्होंने मोदी के कपड़ों पर भी तंज कस दिया। उन्होंने कहा कि, मोदी सिर्फ ड्रेस बदलते, विदेशों में घूमते और लोगों को मैनेज करके विदेश जे लाते हैं। गरीबों और देश के लिए अभी तक कुछ नहीं किया। यहां तक कि अपने संसदीय क्षेत्र बनारस की जनता के लिए भी आठ महीने बीतने के बाद भी कुछ कर नहीं पाए हैं।
वाराणसी- वाराणसी को सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है यहाँ की सांस्कृतिक धरोहरों को देखने के लिये लोगों देश विदेशों आया करते हैं। वाराणसी में सैलानी अगर आते हैं तो सारनाथ घूमने जरूर जाते हैं। सारनाथ में अशोक स्तंभ व् धम्य स्तूप को सरकार ने सुरक्षित करने के लिए लाखों रुपए के ग्लास लगा कर व् लकड़ी से बेरेक्टिंग कर संरक्षित किया है।
लोगों के मुताबिक, देश की धरोहरों को इसी तरह से संरक्षित करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ी देख सके और अपनी संस्कृति को समझ सके।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनाने के बाद वाराणसी का काया कल्प होने से कोई रोक नहीं सकता। वहीं देश की संस्कृति को भी बचाने में सरकार प्रमुख भूमिका में आ गई है इससे वाराणसी के सभी धार्मिक स्थलों को संरक्षित किया जा रहा है उनमे से एक है सारनाथ जो विस्व पटल पर छाया हुआ है।